रोज डे की खट्टी मीठी यादें

आज फिर से मैंने वो डायरी खोली जिसमें उसे मैंने आज भी संभाल कर रखा था। उस गुलाब के फूल को हाथों से छूने की कोशिश की तो एक डर मन में आया कि कहीं इसकी एक पंखुड़ी भी इससे अलग ना हो जाएँ इसलिए मैंने उसे छुआ ही नहीं। इसके बाद डायरी के उस पन्नें ने उस दिन की पूरी कहानी बयां कर दी , ये "डायरी के पन्ने और गुलाब का सूखा फूल" होते ही ऐसे है जो कभी बीते वक्त की कहानी तो कभी कुछ छिपे राज की परतों को खोल जाते है। ये डायरी के पन्ने और गुलाब का सूखा फूल कभी गुदगुदाते हैं तो कभी टीस दे जातें है। मैंने डायरी बन्द कर दी ।
आज एक बात समझ में आई कि 'अतीत की यादें' डायरी में दबे हुए सूखे गुलाब की तरह हमेशा इंसान की जेहन में रहती हैं। लेकिन पता नहीं कब हवा के एक झोंके से डायरी का वह पन्ना खुल जाता है और यादें बाहर आ जाती हैं।  मुझे लगता है कि सबके पास किसी डायरी में रखा एक सूखा गुलाब का फूल होता है। उसे देखकर कोई आह भरता है, कोई आँसू बहाता है, कोई किसी को याद करता है तो कोई कविता लिखता है। लेकिन मैंने केवल उन  पलों को महसूस किया हैं
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#२०१३_ए_लव_stoरी

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