इस देश क्या होगा यारो अब किसी योगी पर विस्वाश करने लायक नहीं रह गया ! पहले जनता सर पर बिठा लेती है ! सर पर क्या बैठे खुद को भगवान् समछ बैठते है ! और जनता को अपना गुलाम सम्छ्ते है ! बाबा राम देव की बात ले लो !अपने आप को गरीबो का हम दर्द बताने वाले राम को ही देख लो !कहते है की मोह माया एक प्रकार का जंजाल है !अगर यह जंजाल है तो , तो खुद के जमी पर पैर नही रुकते पर्सनल प्लेन से सफ़र करते है क्यों
अगर यह हमदर्द होते तो अनसन क्यों तोड़ दिया ! अनसन की बात छोडो जितने दिन अन्सान में रहे उतने ही दिनों में लाखो की सम्पत्ति खर्च हो गई बाबा राम देव के ऊपर !
सायद यह कहावत किसी ने सही कही है "मुख में राम बगल में छुरी ,समय देख घुस दे पूरी " क्या यही बाबा की निसानी होती है , की वोह दुसरो से कहे लड़ते रहो ,और खुद जंग छेड़ दे और पीछे हट जाये ,यह तो मामा सकुनी की कहानी हुई की पांडव और कौरवो की जंग सुरु कर दी और दूर बैठ कर उसका आनंद लेने लगे जैसे कोई टीवी का सिरिअल चल रहा हो "यहाँ पर जनता तो टीवी सिरिअल में कार्य करने वाले अभिनेता और बाबा जी तो आराम से बैठ कर देखने वाले दर्शक हो " जो की अभिनेता की मुसीबात में देख जनता जैसे तालिय बजाती है कुछ इसी प्रकार बाबा जी का हाल है
एक सवाल ---- क्या किसी धर्म पुराण में लिखा है की बाबा जोगी को नहीं भोगी को कहते है ,क्या हम पूछ सकते है किसी से की बाबा जी को पैसो की जरुरत क्यों है और वोह हर देश में अपनी संस्था का प्रचार प्रसार कर रहे है क्यों " किसी किसी का जवाब होगा की बाबा जी सभी लोगो तक अपनी बात पहुचाना चाहते है
अगर सच में बाबा जनता के हितैसी है तो योग सिविर में आम लोग क्यों नहीं जा पाते जिनके पास !पास बनवाने के लिए पैसे नहीं है अगर बाबा जनता के हितैसी है तो जनता के साथ क्यों नहीं अनशन में खड़े रहे "? बाबा जी का तो रोज चेकअप होता था जितने दिन अनशन में रहे क्या किसी ने जनता की खबर ली ??? जनता के हितैसी बताने वाले बाबा जी हाई टेक जिंदगी क्यों जी रहे है यहाँ जनता के पास चलने के लिए साइकल तक नहीं है और बाबा जी तो प्लेन से चलते है
किसी को मेरी बात से कोई तकलीफ पहुचे उसके लिए माफ़ी चाहता हु लेकिन क्या करू मैंने ऐसे - २ लोग देखे की बाबा रामदेव को इतना चाहते है उतना वोह अपने माँ बाप को नहीं पूजते
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-------------------यह मै नहीं कह रहा जनता कह रही है-----------------
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अगर यह हमदर्द होते तो अनसन क्यों तोड़ दिया ! अनसन की बात छोडो जितने दिन अन्सान में रहे उतने ही दिनों में लाखो की सम्पत्ति खर्च हो गई बाबा राम देव के ऊपर !
सायद यह कहावत किसी ने सही कही है "मुख में राम बगल में छुरी ,समय देख घुस दे पूरी " क्या यही बाबा की निसानी होती है , की वोह दुसरो से कहे लड़ते रहो ,और खुद जंग छेड़ दे और पीछे हट जाये ,यह तो मामा सकुनी की कहानी हुई की पांडव और कौरवो की जंग सुरु कर दी और दूर बैठ कर उसका आनंद लेने लगे जैसे कोई टीवी का सिरिअल चल रहा हो "यहाँ पर जनता तो टीवी सिरिअल में कार्य करने वाले अभिनेता और बाबा जी तो आराम से बैठ कर देखने वाले दर्शक हो " जो की अभिनेता की मुसीबात में देख जनता जैसे तालिय बजाती है कुछ इसी प्रकार बाबा जी का हाल है
एक सवाल ---- क्या किसी धर्म पुराण में लिखा है की बाबा जोगी को नहीं भोगी को कहते है ,क्या हम पूछ सकते है किसी से की बाबा जी को पैसो की जरुरत क्यों है और वोह हर देश में अपनी संस्था का प्रचार प्रसार कर रहे है क्यों " किसी किसी का जवाब होगा की बाबा जी सभी लोगो तक अपनी बात पहुचाना चाहते है
अगर सच में बाबा जनता के हितैसी है तो योग सिविर में आम लोग क्यों नहीं जा पाते जिनके पास !पास बनवाने के लिए पैसे नहीं है अगर बाबा जनता के हितैसी है तो जनता के साथ क्यों नहीं अनशन में खड़े रहे "? बाबा जी का तो रोज चेकअप होता था जितने दिन अनशन में रहे क्या किसी ने जनता की खबर ली ??? जनता के हितैसी बताने वाले बाबा जी हाई टेक जिंदगी क्यों जी रहे है यहाँ जनता के पास चलने के लिए साइकल तक नहीं है और बाबा जी तो प्लेन से चलते है
किसी को मेरी बात से कोई तकलीफ पहुचे उसके लिए माफ़ी चाहता हु लेकिन क्या करू मैंने ऐसे - २ लोग देखे की बाबा रामदेव को इतना चाहते है उतना वोह अपने माँ बाप को नहीं पूजते
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