यह कहानी बुंदेलखंड में ओरछा नामक स्थान में एक न्यायप्रिय राजा ओरछा नरेश वीर जू देव जी की है वोह एक बीर योद्धा होने के साथ - २ न्याय प्रिय भी थे एक दिन उनका पुत्र शिकार के लिए जंगल में गया सारा दिन जंगल में घुमने के बाद जब उसे कोई शिकार नहीं मिला अचानक उसकी नजर एक हिरन पर पड़ी राजकुमार अपने घोड़े से हिरन का पीछा करने लगा लेकिन राजकुमार का संतुलन बिगड़ जाने से घोड़े की गति धीमी हो जाती है और हिरन नजरो से ओझल हो जाता है राजकुमार को कुछ दूर पर एक महात्मा दिखे राजकुमार महात्मा के पास जाकर पूछता है की "महात्मन " अपने किसी हिरन को जाते इधर से देखा है महात्मा ने कोई जवाब नहीं दिया ? राजकुमार आगे बढ जाते है लकिन उन्हें हिरन नहीं मिलता है जिससे राजकुमार क्रोधित होकर महात्मा के पास आता है और उन पर अपने कुत्तो को छोड़ देता है जिससे महात्मा की मृत्यु हो जाती है ? यह बात साडी प्रजा में "जंगल में आग के सामान " फ़ैल जाती है अब महाराज दुबिधा में पड़ जाते है की वोह अपने पुत्र को सजा कैसे दे ? अब प्रजा भी सोच में पड़ जाती है की महाराज के न्यायशीलता की यह परीछा होगी महाराज कार्यवाही का आदेश दे देते है राजकुमार को अपराधी घोषित किया जाता है लेकिन कुछ दरबारी गढ राजा से उसे माफ करने का निवेदन करते है तब महाराज सिँहासन से उठ कर कहते है कि राजकुमार ने आवेश मे आकर यह गुनाह किया है इसलिए यह गुनाह माफ करने योग्य नही है आखिर वह राज्य ही कैसा होगा जहा महात्माओ को इस प्रकार मारा जाए इसलिए मै मानवता कि सुरझा के लिए राजकुमार को म्रत्यु दंड देता हुँ राजा कि इस न्यायशीलता को देख राजा के आगे समस्त प्रजा का सिर झुक गया
महाराज की न्यायशीलता
Admin
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यह दृष्टान्त अनुकरणीय और सराहनीय है.
ReplyDeletebilkul sahi nyay ki yahi mang thi fir ek sadharan insan aur mahatmaon ke jeevan ke mulya ka bhi antar tha.bahut khoob deepak ji.
ReplyDeleteप्रेरक प्रसंग
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/
राजा हो तो ऐसा, आज के जैसे नहीं
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने! शानदार और प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
ReplyDeleteओरछा - नरेश वीर जू देव जी की कहानी की खूबसूरत प्रस्तुति... शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteओरछा की नर्तकी कवयित्री राय प्रवीन पर भी कुछ लिखिये.
आज यह न्याय शीलता नहीं है ! राजा जो चोर हो गया है !
ReplyDeletevijai ji ,शालिनी कौशिक ,श्यामल सुमन, जाट देवता (संदीप पवाँर),Babli , Dr Varsha Singh ,G.N.SHAW , aap sabhi ko bahut -2 sukriya hamara utsah vardhan karne ke liye
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शिक्षाप्रद रचना| धन्यवाद|
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteशुभकामनाएँ ||
यथार्थ यही है आदमी ऊंगली पकड़ के पौंछा पकड़ने की ही तो कोशिश करता है .
ReplyDeleteसुन्दर समकालीन यथार्थ के बखिया उधेड़ती बोध कथा आज की जू देवी कुछ और ही गुल खिला रही है संतों को सरे आम पिटवा रही है .
ReplyDeletesunder katha bahut bahut badhai
ReplyDeleterachana
दीपक जी दोनों अच्छी और सार्थक कहानिया -काश इसी तरह बहादुर लड़कियां थप्पड़ मौके पर जड़ें और लोग उनका साथ देते रहें -लिखते रहिये और शब्दों को टाइपिंग त्रुटियों से और बचाइए -सुन्दर
ReplyDeleteसुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर ५
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