जिंदगी में हैं अनेक रंग
जी लो इसे हर किसी के संग
पर खुशियां हैं मुझसे रुठी
हंसती हूं मैं, पर झूठी-मूठी
जाने किसकी लगी है मुझे नजर
सभी तो हैं इससे बेखबर
हर वक्त रहती हूं मैं बेचैन
एक पल न आए मुझको चैन
जल्दी से कट जाए
जिंदगी का ये सफर
अब नहीं होता मुझसे
यह कठिन सफर
लगती है यह दुनिया एक
भ्रमर जाल
हर दिन चलता है कोई नई
चाल
मैं भी फंस गई भंवर में
कुछ न आए समझ में
कहां गए वो जिंदगी के रंग...।
जिंदगी के रंग
------------------------------------------------------------------------------------------
------------------------------------------------------------------------------------------
लेखक ------ शालिनी यादव
------------------------------------------------------------------------------------------
------------------------------------------------------------------------------------------
अगर आपको यह ब्लॉग पसंद आ रहा हो तो समर्थक बने
------------------------------------------------------------------------------------------
हमारी गलतियो से हमें अवगत कराये
------------------------------------------------------------------------------------------
sabhi rachnayein bahut hi sunder
ReplyDeleteShalini ji ki kavita bahut achchhi lagi .prastut karne ke liye aapka aabhar .
ReplyDeleteएक पल न आए मुझको चैन
ReplyDeleteजल्दी से कट जाए
जिंदगी का ये सफर
अब नहीं होता मुझसे
यह कठिन सफर
लगती है यह दुनिया एक
भ्रमर जाल
bahut sundar bhavabhivyakti.zindgi aisee hi hai.
जल्दी से कट जाए
ReplyDeleteजिंदगी का ये सफर
अब नहीं होता मुझसे
यह कठिन सफर
शालिनी जी! ऐसी ऊबन और निराशा नहीं होनी चाहिए ज़िन्दगी से...बाकी बहुत सुन्दर रचना
एक पल न आए मुझको चैन
ReplyDeleteजल्दी से कट जाए
जिंदगी का ये सफर
अब नहीं होता मुझसे
....बहुत सुन्दर :)
Post a Comment