खुल रही सरकार की पोल

मै एक छात्र हु और मैंने इसी साल १२ वि पास किया है मै न तो कोई प्रोफेसनल राईटर हु और न कोई लेखक मै तो जो मेरा दिल कहता है वाही करता करता हु मै अपने दिल की बात शब्दों  के माद्यम से यहाँ उसको लिख रहा हु जो गलतिया समछ में आये मुछे अवगत कराये
                    "सरकार की पोल से मेरा मतलब "
 सरकार के वादे सारे छुड़े नजर  आते साफ़ -२ दिख रहे है  सरकार का लगता है सिद्धात ही बना लिया है की अनाज को खरीद कर उसको एक कुढ़े की ढेर की तरह फेक देना और उस आनाज को भूखे लोगो नहीं देना है चाहे वोह साद जाये या गल जाये अभी तजा हालिया रिपोर्ट देखि जाये तो भारत की ६.५ करोड़ जनसँख्या भूखो मर रही है सरकार को इससे क्या सरकार के गोदामों में अनाज सड़ जायेगा लकिन गरीबो क नहीं बाटा जायेगा ऐसी कसम खा रखी है सरकार ने क्योकि उनके बच्चो और उन्हों ने भूख से तडपना क्या होता है वोह महसूस नहीं किया है न इस लिए  कैसे समछे गे इस समय की अगर हकीकत में देखे तो ६.५ करोड़ नहीं इससे कही ज्यादा है लकिन कागज कलम का खेल है जिनके पास खाने को नहीं उनका apl  कार्ड  तक नहीं बनता और जिन्होंने कभी गरीबी देखि ही नहीं है उनके पास bpl  कार्ड है जिनको राशन मिलना चाहिए उनको आनाज के दर्सन नहीं होते है जिनके घरो में आनाज सड़ रहा है उनको रसन कार्ड में नाम और हर महीने रासन दिया जाता है हकीकत तो यह है की सरकार  गरीबो के  जो भी खेल - २ रही है इससे आने वाला हमारा भविष्य तो साफ़ - २ दिखाई दे रहा है की वोह ब्राईट नहीं बल्कि ब्लैक है उसके लिए हम सभी को दोसी भी नहीं ठहरा  सकते है क्योकि मैंने कही पढ़ा था 
           "शैले - २ न मानिक्यम , मौतिकम न गजे - २ !
                              साधवो न सर्वत्र , चन्दनं न बने -२,,
इस लिए सभी को गलत साबित नहीं कर सकते लकिन अगर किसी फल के बिच में सदा फल रख देने से वोह सरे फल साडा देता है उसी प्रकार एक गन्दा व्यक्ति पुरे सरकार की छवि ख़राब करता है उसी सड़े फल को सरकार को निकलने की जरुरत है 


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